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श्री राम अमृतवाणी
(Shri Ram Amritwani)…
सर्वशक्तिमते परमात्मने श्री रामाय नम: (7)
(राम-कृपा अवतरण)
परम कृपा सुरूप है, परम प्रभु श्री राम।
जन पावन परमात्मा, परम पुरुष सुख धाम ꠱1꠱
सुखदा है शुभा कृपा, शक्ति शान्ति स्वरूप।
है ज्ञान आनन्द मयी, राम कृपा अनूप ꠱2꠱
परम पुण्य प्रतीक है, परम ईश का नाम।
तारक मंत्र शक्ति घर, बीजाक्षर है राम ꠱3꠱
साधक साधन साधिए, समझ सकल शुभ सार।
वाचक वाच्य एक है, निश्चित धार विचार ꠱4꠱
मंत्रमय ही मानिए, इष्ट देव भगवान्।
देवालय है राम का, राम शब्द गुण खान ꠱5꠱
राम नाम आराधिए, भीतर भर ये भाव।
देव दया अवतरण का, धार चौगुना चाव ꠱6꠱
मन्त्र धारणा यों कर, विधि से ले कर नाम।
जपिए निश्चय अचल से, शक्ति धाम श्री राम ꠱7꠱
यथा वृक्ष भी बीज से, जल रज ऋतु संयोग।
पा कर, विकसे क्रम से, त्यों मन्त्र से योग ꠱8꠱
यथा शक्ति परमाणु में, विद्युत् कोष समान।
है मन्त्र त्यों शक्तिमय, ऐसा रखिए ध्यान ꠱9꠱
ध्रुव धारणा धार यह, राधिए मन्त्र निधान।
हरि-कृपा अवतरण का, पूर्ण रखिए ज्ञान ꠱10꠱
आता खिड़की द्वार से, पवन तेज का पूर।
है कृपा त्यों आ रही, करती दुर्गुण दूर ꠱11꠱
बटन दबाने से यथा, आती बिजली धार।
नाम जाप प्रभाव से, त्यों कृपा अवतार ꠱12꠱
खोलते ही जल नल ज्यों, बहता वारि बहाव।
जप से कृपा अवतरित हो, तथा सजग कर भाव ꠱13꠱
राम शब्द को ध्याइये, मन्त्र तारक मान।
स्वशक्ति सत्ता जग करे, उपरि चक्र को यान ꠱14꠱
दशम द्वार से हो तभी, राम कृपा अवतार।
ज्ञान शक्ति आनन्द सह, साम शक्ति संचार꠱15꠱
देव दया स्वशक्ति का, सहस्र कमल में मिलाप।
हो सत्पुरुष संयोग से, सर्व नष्ट हों पाप ꠱16꠱
Ram Amritwani Hindi Lyrics PDF
(अमृत वाणी)
रामामृत पद पावन वाणी, राम नाम धुन सुधा समानी।
पावन पाठ राम गुण ग्राम, राम राम जप राम ही राम ꠱1꠱
परम सत्य परम विज्ञान, ज्योति-स्वरूप राम भगवान्।
परमानन्द, सर्वशक्तिमान्, राम परम है राम महान् ꠱2꠱
अमृत वाणी नाम उच्चारण, राम राम सुखसिद्धि-कारण।
अमृत-वाणी अमृत श्री नाम, राम राम मुद मंगल-धाम ꠱3꠱
अमृतरूप राम-गुण गान, अमृत-कथन राम व्याख्यान।
अमृत-वचन राम की चर्चा, सुधा सम गीत राम की अर्चा ꠱4꠱
अमृत मनन राम का जाप, राम राम प्रभु राम अलाप।
अमृत चिन्तन राम का ध्यान, राम शब्द में शुचि समाधान ꠱5꠱
अमृत रसना वही कहावे, राम राम जहाँ नाम सुहावे।
अमृत कर्म नाम कमाई, राम राम परम सुखदाई ꠱6꠱
अमृत राम नाम जो ही ध्यावे, अमृत पद सो ही जन पावे।
राम नाम अमृत-रस सार, देता परम आनन्द अपार ꠱7꠱
राम राम जप हे मना, अमृत वाणी मान।
राम नाम में राम को, सदा विराजित जान ꠱8꠱
राम नाम मुद मंगलकारी, विध्न हरे सब पातक हारी।
राम नाम शुभ शकुन महान्, स्वस्ति शान्ति शिवकर कल्याण ꠱9꠱
राम राम श्री राम विचार, मानिए उत्तम मंगलाचार।
राम राम मन मुख से गाना, मानो मधुर मनोरथ पाना ꠱10꠱
राम नाम जो जन मन लावे, उस में शुभ सभी बस जावे।
जहां हो राम नाम धुन-नाद, भागें वहां से विषम विषाद ꠱11꠱
राम नाम मन-तप्त बुझावे, सुधा रस सींच शांति ले आवे।
राम राम जपिए कर भाव, सुविधा सुविधि बने बनाव ꠱12꠱
राम नाम सिमरो सदा, अतिशय मंगल मूल।
विषम-विकट संकट हरण, कारक सब अनुकूल ꠱13꠱
जपना राम राम है सुकृत, राम नाम है नाशक दुष्कृत।
सिमरे राम राम ही जो जन, उसका हो शुचितर तन मन ꠱14꠱
जिसमें राम नाम शुभ जागे, उस के पाप ताप सब भागे।
मन से राम नाम जो उच्चारे, उस के भागें भ्रम भय सारे ꠱15꠱
जिस में बस जाय राम सुनाम, होवे वह जन पूर्णकाम।
चित्त में राम राम जो सिमरे, निश्चय भव सागर से तरे ꠱16꠱
राम सिमरन होवे सहाई, राम सिमरन है सुखदाई।
राम सिमरन सब से ऊंचा, राम शक्ति सुख ज्ञान समूचा ꠱17꠱
राम राम ही सिमर मन, राम राम श्री राम।
राम राम श्री राम भज, राम राम हरि-नाम ꠱18꠱
मात-पिता बान्धव सुत दारा, धन जन साजन सखा प्यारा।
अन्त काल दे सके न सहारा, राम नाम तेरा तारन हारा ꠱19꠱
सिमरन राम नाम है संगी, सखा स्नेही सुहृद् शुभ अंगी।
युग युग का है राम सहेला, राम भक्त नहीं रहे अकेला ꠱20꠱
Shri Ram Amritwani Lyrics PDF
निर्जन वन विपद् हो घोर, निबड़ निशा तम सब ओर।
जोत जब राम नाम की जगे, संकट सर्व सहज से भगे ꠱21꠱
बाधा बड़ी विषम जब आवे, वैर विरोध विघ्न बढ़ जावे।
राम नाम जपिए सुख दाता, सच्चा साथी जो हितकर त्राता ꠱22꠱
मन जब धैय्र्य को नहीं पावे, कुचिन्ता चित्त को चूर बनावे।
राम नाम जपे चिन्ता चूरक, चिन्तामणि चित्त चिन्तन पूरक ꠱23꠱
शोक सागर हो उमड़ा आता, अति दुःख में मन घबराता।
भजिए राम राम बहु बार, जन का करता बेड़ा पार ꠱24꠱
कड़ी घड़ी कठिनतर काल, कष्ट कठोर हो क्लेश कराल।
राम राम जपिए प्रतिपाल, सुख दाता प्रभु दीनदयाल ꠱25꠱
घटना घोर घटे जिस बेर, दुर्जन दुखड़े लेवें घेर।
जपिए राम नाम बिन देर, रखिए राम राम शुभ टेर ꠱26꠱
राम नाम हो सदा सहायक, राम नाम सर्व सुखदायक।
राम राम प्रभु राम का टेक, शरण शान्ति आश्रय है एक ꠱27꠱
पूंजी राम नाम की पाइये, पाथेय साथ नाम ले जाइये।
नाशे जन्म मरण का खटका, रहे राम भक्त नहीं अटका ꠱28꠱
राम राम श्री राम है, तीन लोक का नाथ।
परम पुरुष पावन प्रभु, सदा का संगी साथ ꠱29꠱
यज्ञ तप ध्यान योग ही त्याग, बन कुटी वास अति वैराग।
राम नाम बिना नीरस फोक, राम राम जप तरिए लोक ꠱30꠱
राम जाप सब संयम साधन, राम जाप है कर्म आराधन।
राम जाप है परम अभ्यास, सिमरो राम नाम ‘सुख-रास’ ꠱31꠱
राम जाप कही ऊँची करणी, बाधा विध्न बहु दुःख हरणी।
राम राम महा-मन्त्र जपना, है सुव्रत नेम तप तपना ꠱32꠱
राम जाप है सरल समाधि, हरे सब आधि व्याधि उपाधि।
ऋद्धि सिद्धि और नव निधान, दाता राम है सब सुख खान ꠱33꠱
राम राम चिन्तन सुविचार, राम राम जप निश्चय धार।
राम राम श्री राम ध्याना, है परम पद अमृत पाना ꠱34꠱
राम राम श्री राम हरि, सहज परम है योग।
राम राम श्री राम जप, दाता अमृत भोग ꠱35꠱
नाम चिन्तामणि रत्न अमोल, राम नाम महिमा अनमोल।
अतुल प्रभाव अति प्रताप, राम नाम कहा तारक जाप ꠱36꠱
बीज अक्षर महा-शक्ति-कोष, राम राम जप शुभ सन्तोष।
राम राम श्री राम राम मंत्र, तन्त्र बीज परात् पर यन्त्र ꠱37꠱
बीजाक्षर पद पद्म प्रकाशे, राम राम जप दोष विनाशे।
कुँडलिनी बोधे शुष्मणा खोले, राम मंत्र अमृत रस घोले ꠱38꠱
उपजे नाद सहज बहु भांत, अजपा जाप भीतर हो शान्त।
राम राम पद शक्ति जगावे, राम राम धुन जभी रमावे ꠱39꠱
राम नाम जब जगे अभंग, चेतन भाव जगे सुख-संग।
ग्रन्थी अविद्या टूटे भारी, राम लीला की खिले फुलवारी ꠱40꠱
पतित पावन परम पाठ, राम राम जप याग।
सफल सिद्धि कर साधना, राम नाम अनुराग ꠱41꠱
तीन लोक का समझिए सार, राम नाम सब ही सुखकार।
राम नाम की बहुत बड़ाई, वेद पुराण मुनि जन गाई ꠱42꠱
यति सती साधु-संत सयाने, राम नाम निश दिन बखाने।
तापस योगी सिद्ध ऋषिवर, जपते राम राम सब सुखकर ꠱43꠱
भावना भक्ति भरे भजनीक, भजते राम नाम रमणीक।
भजते भक्त भाव भरपूर, भ्रम भय भेद-भाव से दूर ꠱44꠱
पूर्ण पंडित पुरुष प्रधान, पावन परम पाठ ही मान।
करते राम राम जप ध्यान, सुनते राम अनाहद तान ꠱45꠱
इस में सुरति सुर रमाते, राम राम स्वर साध समाते।
देव देवीगण दैव विधाता, राम राम भजते गणत्राता ꠱46꠱
राम राम सुगुणी जन गाते, स्वर संगीत से राम रिझाते।
कीर्तन कथा करते विद्वान, सार सरस संग साधनवान् ꠱47꠱
मोहक मंत्र अति मधुर, राम राम जप ध्यान।
होता तीनों लोक में, राम नाम गुण गान ꠱48꠱
मिथ्या मन-कल्पित मत-जाल, मिथ्या है मोह कुमद बैताल।
मिथ्या मन मुखिया मनोराज, सच्चा है राम नाम जप काज ꠱49꠱
मिथ्या है वाद विवाद विरोध, मिथ्या है वैर निंदा हठ क्रोध।
मिथ्या द्रोह दुर्गुण दुःख खान, राम नाम जप सत्य निधान ꠱50꠱
सत्य मूलक है रचना सारी, सर्व सत्य प्रभु राम पसारी।
बीज से तरु मकड़ी से तार, हुआ त्यों राम से जग विस्तार ꠱51꠱
विश्व वृक्ष का राम है मूल, उस को तू प्राणी कभी न भूल।
साँस साँस से सिमर सुजान, राम राम प्रभु राम महान् ꠱52꠱
लय उत्पत्ति पालना रूप, शक्ति चेतना आनंद स्वरूप।
आदि अन्त और मध्य है राम, अशरण शरण है राम विश्राम ꠱53꠱
राम नाम जप भाव से, मेरे अपने आप।
परम पुरुष पालक प्रभु, हर्ता पाप त्रिताप ꠱54꠱
राम नाम बिना वृथा विहार, धन धान्य सुख भोग पसार।
वृथा है सब सम्पद् सम्मान, होवे तन यथा रहित प्राण ꠱55꠱
नाम बिना सब नीरस स्वाद, ज्यों हो स्वर बिना राग विषाद।
नाम बिना नहीं सजे सिंगार, राम नाम है सब रस सार ꠱56꠱
जगत् का जीवन जानो राम, जग की ज्योति जाज्वल्यमान।
राम नाम बिना मोहिनी माया, जीवन-हीन यथा तन छाया ꠱57꠱
सूना समझिए सब संसार, जहां नहीं राम नाम संचार।
सूना जानिए ज्ञान विवेक, जिस में राम नाम नहीं एक ꠱58꠱
सूने ग्रंथ पन्थ मत पोथे, बने जो राम नाम बिन थोथे।
राम नाम बिन वाद विचार, भारी भ्रम का करे प्रचार ꠱59꠱
राम नाम दीपक बिना, जन-मन में अन्धेर।
रहे, इस से हे मम मन, नाम सुमाला फेर ꠱60꠱
राम राम भज कर श्री राम, करिए नित्य ही उत्तम काम।
जितने कर्तव्य कर्म कलाप, करिए राम राम कर जाप ꠱61꠱
करिए गमनागम के काल, राम जाप जो करता निहाल।
सोते जगते सब दिन याम, जपिए राम राम अभिराम ꠱62꠱
जपते राम नाम महा माला, लगता नरक द्वार पै ताला।
जपते राम राम जप पाठ, जलते कर्मबन्ध यथा काठ ꠱63꠱
तान जब राम नाम की टूटे, भांडा भरा अभाग्य भय फूटे।
मनका है राम नाम का ऐसा, चिन्ता-मणि पारस-मणि जैसा ꠱64꠱
राम नाम सुधा-रस सागर, राम नाम ज्ञान गुण-आगर।
राम नाम श्री राम महाराज, भव-सिन्धु में है अतुल जहाज ꠱65꠱
राम नाम सब तीर्थ स्थान, राम राम जप परम स्नान।
धो कर पाप-ताप सब धूल, कर दे भय-भ्रम को उन्मूल ꠱66꠱
राम जाप रवि-तेज समान, महा मोह-तम हरे अज्ञान।
राम जाप दे आनन्द महान्, मिले उसे जिसे दे भगवान् ꠱67꠱
राम नाम को सिमरिये, राम राम एक तार।
परम पाठ पावन परम, पतित अधम दे तार ꠱68꠱
माँगूं मैं राम-कृपा दिन रात, राम-कृपा हरे सब उत्पात।
राम-कृपा लेवे अन्त सम्हाल, राम प्रभु है जन प्रतिपाल ꠱69꠱
राम-कृपा है उच्चतर योग, राम-कृपा है शुभ संयोग।
राम-कृपा सब साधन-मर्म, राम-कृपा संयम सत्य धर्म ꠱70꠱
राम नाम को मन में बसाना, सुपथ राम-कृपा का है पाना।
मन में राम-धुन जब फिरे, राम-कृपा तब ही अवतरे ꠱71꠱
रहूँ, मैं नाम में हो कर लीन, जैसे जल में हो मीन अदीन।
राम-कृपा भरपूर मैं पाऊँ, परम प्रभु को भीतर लाऊँ ꠱72꠱
भक्ति-भाव से भक्त सुजान, भजते राम-कृपा का निधान।
राम-कृपा उस जन में आवे, जिस में आप ही राम बसावे ꠱73꠱
कृपा-प्रसाद है राम की देनी, काल-व्याल जंजाल हर लेनी।
कृपा-प्रसाद सुधा-सुख-स्वाद, राम नाम दे रहित विवाद ꠱74꠱
प्रभु-प्रसाद शिव शान्ति दाता, ब्रह्म-धाम में आप पहुँचाता।
प्रभु-प्रसाद पावे वह प्राणी, राम राम जपे अमृत वाणी ꠱75꠱
औषध राम नाम की खाइये, मृत्यु जन्म के रोग मिटाइये।
राम नाम अमृत रस-पान, देता अमल अचल निर्वाण ꠱76꠱
राम राम धुन गूँज से, भव भय जाते भाग।
राम नाम धुन ध्यान से, सब शुभ जाते जाग ꠱77꠱
माँगूं मैं राम नाम महादान, करता निर्धन का कल्याण।
देव द्वार पर जन्म का भूखा, भक्ति प्रेम अनुराग से रूखा ꠱78꠱
‘पर हूँ तेरा’ -यह लिये टेर, चरण पड़े की रखियो मेर।
अपना आप विरद विचार, दीजिए भगवन् ! नाम प्यार ꠱79꠱
राम नाम ने वे भी तारे, जो थे अधर्मी अधम हत्यारे।
कपटी कुटिल कुकर्मी अनेक, तर गये राम नाम ले एक ꠱80꠱
तर गये धृति धारणा हीन, धर्म-कर्म में जन अति दीन।
राम राम श्री राम जप जाप, हुए अतुल विमल अपाप ꠱81꠱
राम नाम मन मुख में बोले, राम नाम भीतर पट खोले।
राम नाम से कमल विकास, होवें सब साधन सुख-रास ꠱82꠱
राम नाम घट भीतर बसे, साँस साँस नस नस से रसे।
सपने में भी न बिसरे नाम, राम राम श्री राम राम राम ꠱83꠱
राम नाम के मेल से, सध जाते सब काम।
देव-देव देवे यदा, दान महा सुख धाम ꠱84꠱
अहो ! मैं राम नाम धन पाया, कान में राम नाम जब आया।
मुख से राम नाम जब गाया, मन से राम नाम जब ध्याया ꠱85꠱
पा कर राम नाम धन-राशी, घोर अविद्या विपद् विनाशी।
बढ़ा जब राम प्रेम का पूर, संकट संशय हो गये दूर ꠱86꠱
राम नाम जो जपे एक बेर, उस के भीतर कोष कुबेर।
दीन दुखिया दरिद्र कंगाल, राम राम जप होवे निहाल ꠱87꠱
हृदय राम नाम से भरिए, संचय राम नाम धन करिए।
घट में नाम मूर्ति धरिए, पूजा अन्तर्मुख हो करिए ꠱88꠱
आँखें मूँद के सुनिए सितार, राम राम सुमधुर झंकार।
उस में मन का मेल मिलाओ, राम राम सुर में ही समाओ ꠱89꠱
जपूँ मैं राम राम प्रभु राम, ध्याऊँ मैं राम राम हरे राम।
सिमरूँ मैं राम राम प्रभु राम, गाऊँ मैं राम राम श्री राम ꠱90꠱
अमृत वाणी का नित्य गाना, राम राम मन बीच रमाना।
देता संकट विपद् निवार, करता शुभ श्री मंगलाचार ꠱91꠱
राम नाम जप पाठ से, हो अमृत संचार।
राम-धाम में प्रीति हो, सुगुण-गण का विस्तार ꠱92꠱
तारक मंत्र राम है, जिस का सुफल अपार।
इस मंत्र के जाप से, निश्चय बने निस्तार ꠱93꠱
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